Sanjay Kumar Singh
04-02-2023 01:56 AMप्रोफेसर (डॉ)एस.के.सिंह
सह मुख्य वैज्ञानिक (पौधा रोग)
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवम्
सह निदेशक अनुसंधान
डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय
पूसा, समस्तीपुर - 848 125
कही कही पर आम एवम लीची के बाग में फूल आते दिख रहे है, जैसे ही वातावरण मे गर्मी बढ़ेगी (फरवरी के दूसरे सप्ताह तक) तुरंत फूल आ जाएंगे। इस तरह के बाग जिसमें निकट भविष्य में फूल आने वाले हो उसमें इमिडाक्लोप्रीड (17.8 SL) @0.5 मीली प्रति लीटर एवं हेक्साकॉनाजोल @1 मिलीलीटर प्रति लीटर या घुलनशील सल्फर @2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से क्रमशः हापर एवं चूर्णिल आसिता के साथ साथ अन्य फफूंद जनित रोगों की उग्रता में कमी आती है। यदि छिड़काव नहीं किया है तो तुरंत छिड़काव कर लें अन्यथा आम एवम् लीची में एक बार फूल के खिल जाने के बाद किसी भी प्रकार का कृषि रसायन का छिड़काव नहीं करना चाहिए ,क्योंकि इससे फूल को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है एवम् परागण प्रभावित होता है। क्योंकि जिस बाग में कृषि रसायनों का छिड़काव किया गया हो उस बाग में परागण करने वाले कीट नही आते है जिससे परागण बुरी तरह से प्रभावित होता है,जिससे कम फल लगते है। अपूर्ण परागण होने की वजह से फल अधिक झड़ते है।
आम एवम लीची को नुकसान से बचाने के लिए कुछ खास बातों का रखें ध्यान
आम एवम लीची में मंजर या फूल खिलने से लेकर फल के क्रमशः मटर एवम लौंग के दाने बन जाने तक कोई भी रासायनिक दवाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे बाग में मधुमक्खियों एवम अन्य कीट जो परागण करने में सहायक होते है, का भ्रमण प्रभावित होता है। जिसकी वजह से आम एवम लीची में फल लगने की प्रक्रिया प्रभावित होती हैं। जब भी रासायनिक दवाओं का छिडक़ाव करें तो घोल में स्टीकर (एक चम्मच(लगभग 5 मिली लीटर ) प्रति 15 लीटर घोल) जरूर डालें। सर्फ या डिटर्जेंट का प्रयोग करने से बचें ।रासायनिक कीटनाशकों का छिडक़ाव अपराह्न के समय में करना ज्यादा अच्छा रहता है। सुबह और शाम को छिडक़ाव करने से बचें क्योंकि हमारे मित्र कीट इस समय अधिक सक्रिय रहते है। रोकथाम वाली रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के संबंध में ध्यान रखें कि एक ही कीटनाशक का प्रयोग बार-बार न करें। क्योंकि बार-बार ऐसा करने से कीट और रोगकारक जीव इन रासायनिक कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर लेते हैं जिससे उन पर कीटनाशकों का असर होना बंद हो जाता है।
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