जिन क्षेत्रों में अभी मक्की की बुवाई होनी है, वहां खेतों के चारों ओर तीन से चार लाइनें नेपियर घास या हाइब्रिड बाजरा की ट्रैप फसल के रूप में मुख्य फसल से 10 दिन पहले लगाएं, ताकि फाल आर्मी वर्म की उपस्थिति होते ही उन्हें नष्ट किया जा सके।
मक्की के बीज का साइनट्रेनिप्रोल (19.8 फीसद) व थायामिथोकसेम (19.8 फीसद) छह मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। इससे लगभग 20 दिन तक कीटों से सुरक्षा कवच रहता है।
मक्की की फसल के साथ उड़द, लोबिया इत्यादि दाल की फसल अवश्य लगाएं, क्योंकि ऐसी मिश्रित फसल में फाल आर्मी वर्म कीड़े का प्रकोप कम होता है और मक्की की फसल को नत्रजन दलहन फसल से प्राप्त होती है।
खादों की संतुलित मात्रा का उपयोग करें। यूरिया का अत्यधिक उपयोग न करें।
फसल का नियमित सर्वेक्षण करें और यदि खेत में पांच फीसद से अधिक पौधों पर कीड़े का प्रकोप पाया जाता है तो इनके नियंत्रण के लिए उपाय शुरू कर दें।
खेत में प्रकाश प्रपंच तथा फेरोमोन ट्रैप स्थापित करें।
जैविक कीटनाशकों जैसे बीटी (दो ग्राम प्रति लीटर पानी), नीम आधारित कीटनाशक (पांच मिलीलीटर प्रति लीटर पानी), फफूंद आधारित कीटनाशक मेटारहीजीयम या बिवेरिया (पांच ग्राम प्रति लीटर पानी) आदि का उपयोग करें।
मक्की की फसल में परजीवियों जैसे ट्राइकोग्रेम्मा, कोटेशिया, टेलीनोमस आदि की संख्या बढ़ाने के लिए इनमें प्रयोगशाला में तैयार परजीवियों के अंडे छोड़ें।
यदि इन उपायों के बावजूद फाल आर्मी वर्म का प्रकोप कम नहीं होता है तो अंतिम उपाय के रूप में रसायन जैसे स्पाइनोसैड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी), कलोरनट्रेनिलिप्रोल (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी), एमाबेक्टीन बेन्जोएट (0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी), थायोडीकार्ब (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), फ्लूबेंडामाइड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) या थाओमिथेक्सोन लैम्ब्डा साइंहेलोथ्रिन (0.25 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) में मिला कर ग्रसित पौधों के सबसे ऊपरी पत्ते या मध्य छल्ले में भरें।
ग्रसित पौधों के अवशेष खेत में न छोड़ें।
मक्का की खेती की अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें: