गेहूं की फसल में जिंक की कमी से होता है पैदावार पर असर, जानें इसके लक्षण एवं उपाय

गेहूं की फसल में जिंक की कमी से होता है पैदावार पर असर, जानें इसके लक्षण एवं उपाय
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Kisaan Helpline

Crops Jan 24, 2024

गेहूं की फसल के लिए मौसम अनुकूल है। इस मौसम में गेहूं की फसल पर भी ध्यान देना जरूरी है। गेहूं में जिंक की कमी के लक्षण 25 से 30 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं। जिंक की कमी के कारण गेहूं की पत्तियों पर झुलसी हुई रंगीन महीन रेखाएं या धब्बे दिखाई देंगे। यदि जिंक की कमी पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये धब्बे बढ़ जाएंगे और सारी पत्तियां झुलस जाएंगी। इसके लिए इसका इलाज करना जरूरी है। अन्यथा गेहूं की पैदावार में कमी आती है। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि गेहूं की फसल में जिंक की कमी होने से इसकी पैदावार कम हो जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. इसी क्रम में आज हम किसानों के लिए गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण और उसके उपचार के बारे में जानकारी लेकर आए हैं।

जिंक की कमी के कारण:
गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। प्राथमिक कारणों में से एक समय के साथ मिट्टी में उपलब्ध जिंक की कमी है। निरंतर मोनोक्रॉपिंग प्रथाएं, उर्वरकों का अपर्याप्त उपयोग और भारी वर्षा, ये सभी मिट्टी से जिंक के निक्षालन में योगदान कर सकते हैं, जिससे गेहूं की फसलों के लिए इसकी उपलब्धता सीमित हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, मिट्टी का पीएच सीधे तौर पर जिंक की उपलब्धता को प्रभावित करता है। क्षारीय मिट्टी, जो आमतौर पर शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है, गेहूं की फसलों द्वारा ली जाने वाली जिंक की मात्रा को काफी कम कर सकती है, जिससे कमी के लक्षण सामने आते हैं।
हरियाणा कृषि विभाग ने गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण और उपचार के संबंध में किसानों को महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। जिससे किसान समय से गेहूं की फसल का उपचार कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सके।


गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण
हरियाणा कृषि विभाग ने गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण एवं उपचार के लिए निम्नलिखित कृषि सलाह जारी की है, जो इस प्रकार हैं-
जिंक की कमी के कारण गेहूं की पत्तियों पर महीन रेखाएं या झुलसे हुए रंग के धब्बे (जैसे लोहे में जंग लगना) दिखाई देने लगते हैं।
पत्तियों का पीला पड़ना: गेहूं की फसल में जिंक की कमी के कारण फसल की पत्तियां पीली हो जाती हैं, जिससे फसल का सामान्य रूप से हरा रंग पीला हो जाता है।
पत्तियाँ सूखना: जिंक की कमी के कारण पत्तियाँ सूखने लगती हैं जिससे पौधों का प्रकाश संश्लेषण ठीक से नहीं हो पाता, जिससे उनके उत्पादन में कमी आ जाती है।
बीज की शक्ति में कमी: जिंक की कमी के कारण बीज के विकास की गति में कमी आ जाती है। इसके अलावा अच्छी गुणवत्ता वाली फसलों के विकास में भी दिक्कतें आती हैं

गेहूं की फसल में जिंक की कमी का उपचार
किसानों को 200 लीटर पानी में एक किलोग्राम जिंक सल्फेट (21 प्रतिशत) तथा आधा किलोग्राम चूना (बुझा हुआ) मिलाकर मलमल के कपड़े से छानकर प्रति एकड़ गेहूं की फसल में छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से किसान को गेहूं उत्पादन में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।

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