Millets Farming : मोटे अनाज वाली खाद्य फसलों में बाजरा एक महत्वपूर्ण फसल है। इसे गरीबों का भोजन भी कहा जाता है। बाजरा में 11.6 प्रतिशत प्रोटीन, 5 प्रतिशत वसा, 67 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा 2.7 प्रतिशत खनिज लवण पाये जाते हैं। बाजरे के पौधे का उपयोग पशुओं को खिलाने के लिए हरे और सूखे चारे के रूप में भी किया जाता है।
बाजरा की उन्नत किस्में
बाजरा की संकर किस्में जैसे- टी.जी. 37. आर-8808 आर.-9251, आईसीजीएस-1 आईसीजीएस 44. डीएच-86, एम-52, पोबी 172, पीबी-180 जीएचबी 526. जीएचबी-558. जीएचबी-183 प्रोएग्रो 9555 प्रोएग्रो 9444 86 एम 64, नंदी 72, नंदी 70 एवं नंदी 64 तथा बाजरे की संकुल प्रजातियां जैसे- पूसा कम्पोजिट 383 राज- 171 आईआईसीएमवी 221 व सीटीपी-8203 प्रमुख हैं।
बाजरा की बुवाई का अनुकूल समय
मोटे तौर पर देखा जाए तो बाजरे की बुवाई का सही समय फरवरी के मध्य से जून-जुलाई तक है।
बीज की मात्रा
बीज की मात्रा की बात करें तो 5-7 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से उपयुक्त होता है।
बुवाई का तरीका
बुआई के समय कतारों की दूरी 25 सेमी. यह होना चाहिए और बीज 2 सेमी से अधिक गहराई पर नहीं बोना चाहिए
बाजरा की फसल के लिए उर्वरक की मात्रा
मृदा परीक्षण संस्तुतियों के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। सिंचित क्षेत्र के लिए 80 किग्रा. नाइट्रोजन 40-50 किग्रा फास्फोरस व 40 किग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर एवं बारानी क्षेत्रों के लिए 60 किग्रा. नत्रजन 30 किग्रा फास्फोरस व 30 किग्रा. पोटाश का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से किया जा सकता है। बुआई के समय नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा लगभग 3-4 सें.मी. की गहराई में डाल देना चाहिए। नाइट्रोजन की शेष मात्रा अंकुरण के 4-5 सप्ताह बाद खेत में बिखेर देनी चाहिए और मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए।
बाजरा की खेती में खरपतवार नियंत्रण
अच्छी उपज के लिए समय पर खरपतवार नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा उपज को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। बुआई से 30 दिन तक खेत को नदीन मुक्त रखना आवश्यक है। खरपतवार नियंत्रण के लिए बिजाई के 15 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई कुदाली से करनी चाहिए। इसे 15 दिनों के अंतराल पर दोहराना चाहिए। यदि फसल मेड़ पर बोई जाती है तो खरपतवार नियंत्रण ट्रैक्टर एवं मेड़ बनाने वाले यंत्र से भी किया जा सकता है। खरपतवारनाशी एट्राजीन किग्रा. बिजाई के तुरंत बाद या 1-2 दिन बाद प्रति हेक्टेयर सक्रिय तत्व डालकर खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है। एट्राजीन 10.5 किग्रा सक्रिय संघटक को 800 लीटर पानी में घोलकर भी छिड़काव किया जा सकता है।
बाजरा फसल की कटाई एवं मड़ाई
बाजरा की विभिन्न किस्में 70-90 दिन में पकने के बाद तैयार हो जाती है। खड़ी फसल में बालियां दरांती से काट ली जाती हैं या फसल को खेत से पहले काटकर खलिहान में ले आते हैं, इसके बाद बालियां काट ली जाती हैं। जब दानों में नमी की मात्रा 20 प्रतिशत हो जाए तब बालियों को खेत से काट देना चाहिए। बालियों को खेत में सुखाने के बाद बैलों या थ्रेशर द्वारा मड़ाई की जाती है। अनाज के भण्डारण के लिए अनाज में 10 से 12 प्रतिशत से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।
बाजरे की पैदावार
उन्नत पद्धति अपनाकर देशी उन्नत जातियों से 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा संकर किस्मों से 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अनाज प्राप्त किया जा सकता है। जबकि 70 क्विंटल तक सुखा चारा मिल जाता है।