उपभोक्ताओं को भी इनकी बिक्री कर सकेंगे। इतना ही नहीं डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से देश में कहीं भी बिक्री कर उचित मूल्य ले सकेंगे।
सरकार के इस फैसले से मंडी परिषद को सालाना 124.58 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। अधिसूचना से बाहर हुए फल-सब्जियों के व्यापार की सुविधा मंडी परिसर में पूर्व की तरह संचालित की जाएगी।
अगर कोई कारोबारी इसके लिए मंडी परिसर का इस्तेमाल करना चाहता है, तो उन्हें मंडी शुल्क के स्थान पर सेवा शुल्क या यूजर चार्ज ही देना होगा। वो भी तब, जब वे मंडी परिसर में इन उत्पादों का क्रय-विक्रय करेंगे।
इन संशोधनों के बाद प्रदेश में 53 तरह के फल व सब्जियों में सिर्फ आलू, प्याज, टमाटर, अदरक, लहसुन, मिर्च और नींबू के कारोबार पर ही मंडी शुल्क देना होगा।