उर्वरकों का उपयोग करने से पहले मिट्टी के स्वास्थ्य की जाँच करें

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Kisaan Helpline

Agriculture Oct 14, 2016

हाल ही में भारत में एग्रीकल्चर जानकारी से पता चला है कि भारत में कृषि परिवारों की स्थिति के महत्वपूर्ण संकेत सामने आए हैं की भारतीय किसानों की जीवन शैली में एक दशक से कोई परिवर्तन नहीं आया है आप इस स्थिति को कैसे हल कर सकते हैं एक किसान होने के नाते मैं यह सच्चाई मानता हूं की देश प्रगति कर रहा है लेकिन आज भी गांव और किसान के जीवन में कोई सुधार नहीं दिख रहा है

इसमें कोई शक नहीं है कि हम खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो रहे हैं लेकिन हम कम उत्पादकता की समस्या को ध्यान नहीं दे रहे हैं, बढ़ती हुई खेती की लागत,  सिंचाई के साधन और उन्नत किस्म की फसलें. आज भी 65 प्रतीशत कृषि भूमि पर सिंचाई के साधन नहीं है और कोई भी योजना आज इस समस्या को हल करने के लिए मिशन मोड में नहीं आई है

आज भारत में 145 मिलियन खेल सर फार्मिंग की जाती है,  किसानों को अपनी भूमि के स्वास्थ्य के बारे में पता ही नहीं है कि क्या फर्टिलाइजर यूज करना है और कितना करना है और कब करना है इसकी वजह से आज उत्पादकता में काफी कमी आई है.  इस समस्याओं को दूर करने के लिए हमारी सरकार ने एक योजना मिशन मोड जिसके अंतर्गत किसानों को एक (Soil Health card) स्वाइन हेल्थ कार्ड दिया जा रहा है इस योजना में सरकार ने 568 करोड़  आने वाले 3 साल में खर्च करने की योजना बनाई है

एक किसान जानता है कि आप दिन आप बीज बोना फसल नहीं कर सकते हैं। हमारे प्रयासों का परिणाम कुछ ही वर्षों में दिखाई देंगे। हम एक ई-विपणन नेटवर्क के माध्यम से पूरे देश को कनेक्ट करने के लिए योजना बना रहे हैं। यह हर किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने के लिए तीन साल का समय लगेगा। हम पहले से ही 112 करोड़ रुपये पर सिंचाई और जानकारी की समस्याओं कमी के बाकी 2007 और 2012 के बीच खर्च के साथ तुलना में छह महीने में मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं पर 86 करोड़ रुपये खर्च किया है पिछले पापों मिट्टी-कर रहे हैं। वहाँ भी जनशक्ति के विस्तार सेवाओं कमी की विफलता और कृषि विज्ञान केन्द्र और जिला कृषि अधिकारियों के बीच कोई तालमेल नहीं है।

किसान जानता है कि आज बीच लगाने से आज ही फसल नहीं काट सकते ! हमारे इन प्रयासों के परिणाम कुछ सालों में दिखाई देंगे,  हम एक ई-विपणन नेटवर्क के माध्यम से पूरे देश को कनेक्ट करने के लिए योजना बना रहे हैं। यह हर किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने के लिए तीन साल का समय लगेगा। पिछले कुछ सालों में बहुत सारी सिंचाई इंफॉर्मेशन सोहिल काफी समस्याओं को देखा गया है किंतु सारे प्रयास से लीवर किंतु सारे प्रयास असफल रहे हैं बहुत सारी मेन पावर और कोआर्डिनेशन बिटवीन केवीके और डिस्ट्रिक्ट एग्रीकल्चर ऑफिसर…..!
(A farmer knows that you cannot harvest the day you sow the seeds. Results of our initiatives will show in a few years. we are planning to connect the entire country through an e-marketing network.  It will take three years to give soil health cards to every farmer. We have already spent Rs 86 crore on soil health laboratories in six months compared with Rs 112 crore spent between 2007 and 2012. Rest of the problems—lack of irrigation and information on soils—are past sins. There is also a failure of extension services— lack of manpower and no coordination between KVKs and district agriculture officials.
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