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नई दिल्ली। पशुओं की देशव्यापी गणना का काम एक अक्टूबर से चालू हो जाएगी, जिसमें हर तरह के पशुओं की अलग-अलग गणना की जाएगी। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पशु गणना से पशुधन व डेयरी के बारे नीतिगत फैसला लेने में मदद मिलेगी। भारत में यह पशुगणना 20वीं बार कराई जा रही है।
इस पशुगणना में पहली बार सारे आंकड़े टैबलेट्स, मोबाइल फोन और कंप्युटर पर होगी। सारे आंकड़ों को जुटाने और प्रासेसिंग आन लाइन की जाएगी। माना जा रहा है इस प्रक्रिया के चलते पशुगणना की गति बहुत तेज होगी। ये गणनाएं राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से की जाएगी। पिछली पशुगणना वर्ष 2012 में कराई गई थी। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों व केंद्र शासित राज्यों से एक अक्टूबर से पशुगणना चालू करने का आग्रह किया है। सारी गणना गांव व शहरी वार्डो के स्तर पर कराई जाएगी।
पशुगणना में विभिन्न प्रजाति के पशुओं में गाय, भैंस, मिथुन, याक, भेंड, बकरी, सुअर, घोड़ा, गधा, खरगोश, ऊंट, कुत्ते, हाथी और मुर्गियों की अलग-अलग गिनती की जाएगी। इसके अलावा उल्लू, बतख, ऐमू, टर्की और अन्य पक्षियों की गिनती की जाएगी। इनमें घर में पाले गये जानवरों के साथ आवारा पशु शामिल होंगे।
पशुओं की गणना के लिए गैजेट्स और अन्य उपकरणों की खरीद नेशनल मिशन आन बोवाइन प्रोडक्टविटी स्कीम के पैसे की गई है। इसी से राज्यों को भी मदद मुहैया कराई जाएगी। मोबाइल अप्लीकेशन साफ्टवेयर नेशनल इनफारमेटिक्स सेंटर (निक) ने विकसित किया है। साथ ही आन लाइन सुविधाएं भी निक की ओर से मुहैया कराई जाएंगी। पशु गणना के आंकड़ों से जरूरी प्रजाति की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। आंकड़ों के हिसाब से पशुधन किन पशुओं की संख्या में कमी अथवा अधिकता हो रही है, उसके हिसाब से नीतियां तैयार की जाएंगी।
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