पशु में ब्याने के बाद जेर का समय से न गिरना: उपाय एवं समाधान

पशु में ब्याने के बाद जेर का समय से न गिरना: उपाय एवं समाधान
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Kisaan Helpline

Agriculture Sep 14, 2022

प्रायः यह देखा गया है कि गाय व भैंसों में ब्याने के बाद जेर का बाहर न निकलना अन्य पशुओं की अपेक्षा काफी ज्यादा पाया जाता है। इस अवस्था में क्षेत्र के पशुपालकों को नजदीकी पशु अस्पताल में संपर्क करना चाहिए परंतु पशु चिकित्सकों के अभाव में कभी-कभी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ जाता है। सामान्यतया ब्याने के 3 से 8 घंटे के बीच जेर बाहर निकल जाती है लेकिन कई बार 8 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी जेर बाहर नहीं निकलती। कभी कभी यह भी देखा गया है कि आधी जेर टूट कर निकल जाती है तथा आधी गर्भाशय में ही रह जाती है।

जेर न निकलने के प्रमुख कारण
पशु में जेर न निकलने के अनेक कारण हो सकते हैं। जैसे संक्रामक कारणों में विब्रियोसिस, लेप्टोस्पाइरोसिस, टी.बी., फफूंदी, कई अन्य वाइरस तथा अन्य संक्रमण शामिल हैं परंतु विब्रियोसिस बीमारी में जेर न निकलने की डर सबसे अधिक होती है। असंक्रामक कारणों में असंक्रामक गर्भपात, समय से पहले प्रसव, जुड़वाँ बच्चे होना, ब्याने के बाद पशु को बहुत जल्दी गर्भित कराना, कुपोषण, हार्मोन्स का असंतुलन आदि प्रमुख हैं।
जेर अंदर रहने के पशु में लक्षण जेर के अंदर रहने से पशु की भूख कम हो जाती है तथा दूध का उत्पादन भी गिर जाता है। गर्भाशय में जेर के रह जाने की वजह से यह सड़ने लगती है तथा योनि द्वार से बदबूदार लाल रंग का डिस्चार्ज निकलने लगता है। कभी कभी उसे बुखार भी हो जाता है। गर्भाशय में संक्रमण के कारण पशु गर्भाशय को बाहर निकालने की कोशिश करने लगता है जिससे योनि अथवा गर्भाशय तथा कई बार गुदा भी बाहर निकल आते हैं तथा बीमारी जटिल रूप ले लेती है।

सही समय पर कराएं उपचार
प्रायः पशु ब्याने के उपरांत 8 से 10 घंटे के भीतर जेर गिर जाती है। कई लोग ब्याने के 12 घंटे के बाद जेर निकालने की सलाह देते हैं जबकि अन्य 72 घण्टों तक प्रतीक्षा करने के बाद जेर हाथ से निकलवाने की राय देते हैं। यदि जेर गर्भाशय में ढीली अवस्था में पड़ी है तो उसे हाथ द्वारा बाहर निकालने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन यदि जेर गर्भाशय से मजबूती से जुड़ी है तो इसे जबरदस्ती निकालने से रक्त स्राव होने तथा अन्य जटिल समस्यायें पैदा होने की पूरी संभावना रहती है। पशु की जेर हाथ से निकालने के बाद गर्भाशय में जीवाणुनाशक औषधि अवश्य रखनी चाहिए तथा उसे दवाइयां देने का काम पशु चिकित्सक से ही करवाना चाहिए। पशु पालक को स्वयं अथवा किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति से यह कार्य नहीं करवाना चाहिए। ब्याने के बाद ओक्सीटोसीन अथवा प्रोस्टाग्लैंडिन एफ–2 एल्फा टीकों को लगाने से अधिकतर पशु जेर आसानी से गिरा देते हैं। लेकिन ये टीके पशु चिकित्सक की सलाह से ही लगवाने चाहिए। पशु को गर्भावस्था में खनिज मिश्रण तथा सन्तुलित आहार अवश्य देना चाहिए। प्रसव से कुछ दिनों पहले पशु को विटामिन ई का टीका लगवाने से इस समस्या से बचा जा सकता है।

डॉ राम निवास ढाका, विषय विशेषज्ञ (पशुपालन),
डॉ चारू शर्मा, विषय विशेषज्ञ (गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा) एवं
डॉ के जी व्यास, विषय विशेषज्ञ (सस्य विज्ञान) 
कृषि विज्ञान केन्द्र, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर पोकरण 345021 (जैसलमेर) राजस्थान

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