पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी टिड्डी दल के आने की आशंका है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की तरफ से जारी पूर्वानुमान के अनुसार, राजस्थान में टिड्डी दलों का हमले हो सकता है। वर्ष 2020-21 में भी राजस्थान से मप्र होते हुए पहुंचे टिड्डी दलों ने कई जिलों और गांवों में आम और अन्य फसल चट कर दी थी। राजस्थान की सीमा पर एक बार फिर टिड्डी दल का खतरा मंडराने लगा है। राजस्थान से यह दल किसी भी समय आक्रमण कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र की इस आशंका के बाद प्रदेश भर में अलर्ट जारी कर दिया गया है। किसानों से सजग रहने को कहा गया है।
कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहे किसानों के सामने नयी परेशानी खड़ी हो गयी। असमय वर्षा से गर्मी मौसम की फसलों के नष्ट होने के बाद उनकी भरपाई भी नहीं कर सकें और उनके सामने टिड्डियों का संकट खड़ा हो गया। कोरोना महामारी की दुश्वारियां झेल रहे किसानों की कुदरत भी मुश्किलें बढ़ा रही है। वैशाख में बारिश से खरबूज, तरबूज और सब्जी की फसल में नुकसान झेल रहे किसानों पर अब टिड्डी दल का खतरा मंडराने लगा है। आशंका जताई गई है कि टिड्डी दल राजस्थान से प्रदेश में प्रवेश कर सकता है। पिछले साल मई में ही राजस्थान से आए टिड्डी दल ने आगरा, फीरोजाबाद, इटावा समेत कई जिले में आतंक मचाया था। अब फिर ये खतरा नजर आने लगा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने राजस्थान में टिड्डी दलों के हमले का पूर्वानुमान लगाया है।
टिड्डियों से बचाव के लिए उपाय
किसानों को अलर्ट के साथ ही टिड्डी दल के हमले की स्थिति में बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं। टिड्डी आने पर थाली, ढोल, नगाड़े और डीजे से तेज आवाज करने की सलाह दी गई है। तेज आवाज से टिड्डी नीचे नहीं उतरती हैं। बीते वर्ष इसका फायदा भी देखने को मिला था। और साथ ही रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से टिड्डी दल से होने वाले नुकसान से बचाव किया जा सकता हैं।टिड्डी दलों से फसलों को बचाने के लिए कृषि रक्षा रसायनों का छिड़काव फायदेमंद माना जाता है।
प्रशासन द्वारा निर्देश
प्रदेश से जारी हुए अलर्ट के बाद विभाग के सभी फील्ड कर्मचारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। सीमावर्ती गांवों में विशेष निगरानी रखी जा रही है। किसानों को भी जागरूक किया जाएगा।