दिन में तीन बार मिलेगी मौसम की चेतावनी, इस प्रदेश की हर पंचायत में लगेंगी रेनगेज मशीन, जानिए इसके बारे में

दिन में तीन बार मिलेगी मौसम की चेतावनी, इस प्रदेश की हर पंचायत में लगेंगी रेनगेज मशीन, जानिए इसके बारे में
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Kisaan Helpline

Agriculture Apr 19, 2023

Weather Alert: बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण भारत में लाखों हेक्टेयर में लगी फसल हर साल बर्बाद हो जाती है। इससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। खराब मौसम के बारे में किसानों को पता ही नहीं चलता। फसल खेतों में पड़ी रहती है। बारिश या किसी प्राकृतिक आपदा से फसल खराब हो जाती है। 

अगर किसानों को मौसम की गड़बड़ी के बारे में पहले ही पता चल जाए तो फसलों को होने वाले संभावित नुकसान से काफी हद तक बचा जा सकता है। झारखंड सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मौसम खराब होने से पहले ही किसानों को इसकी जानकारी हो सकेगी।

मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में कृषि विभाग राज्य के किसानों को मौसम संबंधी अलर्ट अलर्ट पहुंचाने में जुट गया है। इसके लिए प्रदेश की हर पंचायत में रेनगेज मशीन लगाई जाएगी।

रेनगेज मशीन माध्यम से मौसम की जानकारी मिल सकेगी। ऐसे में किसान बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि होने से पहले ही सतर्क हो जाएंगे। वे अपनी फसलों को सुरक्षित स्थान पर भंडारित कर देंगे या फसलों की सुरक्षा के लिए कुछ उपाय करेंगे। इससे फसलों की बर्बादी कम होगी।

एक रेनगेज मशीन लगाने की लागत 2.5 लाख रुपए है। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा 48 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। फिलहाल 35 लाख किसानों का डाटा कृषि विभाग के पास है, लेकिन विभाग 40 लाख से ज्यादा किसानों को डाटा भेजने की तैयारी में है।

मौसम विभाग और कृषि विभाग मिलकर कॉमन सर्विस सेंटर पर वेदर अलर्ट भेजने की तैयारी कर रहे हैं। कुल 25,000 केंद्रों को मौसम सेवा प्रदान की जाएगी।

मौसम की रिपोर्ट हर दिन तीन बार जारी की जाएगी और केंद्र पर संबंधित रिपोर्ट भी प्रदर्शित की जाएगी। मौसम विभाग दामिनी और सचेत एप के जरिए मौसम संबंधी अलर्ट देगा। सचेत एप से जहां मौसम संबंधी अलर्ट प्राप्त होगा, वहीं दामिनी एप से आंधी-तूफान की जानकारी मिल सकेगी।

इस संबंध में मौसम विभाग रांची केंद्र के प्रभारी अभिषेक आनंद ने कहा कि पहली बार ऐसा प्रयास किया जा रहा है। हम किसानों को उन्हीं की भाषा में खेती हितैषी सलाह देने की तैयारी कर रहे हैं।

इसके लिए कृषि विभाग के किसान कॉल सेंटर का उपयोग किया जाएगा। किसानों को उनकी भाषा में वॉयस मैसेज के जरिए जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है। मौसम विभाग की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मौसम की जानकारी पहुंचाई जा सके।

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