भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने आलू, हरी मटर, टमाटर और अन्य सब्जियों की खेती को लेकर किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि वर्तमान मौसम आलू की बुवाई के लिए अनुकूल है इसलिए किसान आवश्यकतानुसार आलू की किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। इसकी उन्नत किस्में- कुफरी बादशाह, कुफरी ज्योति (कम अवधि वाली किस्म), कुफरी अलंकार एवं कुफरी चंद्रमुखी हैं।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई (Pea sowing) में और अधिक देरी न करें अन्यथा फसल की उपज में कमी होगी तथा कीड़ों का प्रकोप अधिक हो सकता है। बुवाई से पूर्व मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. मटर की उन्नत किस्में -पूसा प्रगति और आर्किल हैं। बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम @ 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें। उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें तथा अगले दिन बुवाई करें।
लहसुन की बुवाई का उचित समय
तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान इस समय लहसुन (Garlic) की बुवाई कर सकते हैं। बुवाई से पूर्व मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. उन्नत किस्में –जी-1, जी-41, जी-50 एवं जी-282 हैं, खेत में अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें।
चने की बुवाई का उचित समय
किसान चने की बुवाई भी इस सप्ताह कर सकते हैं, बुवाई से पूर्व मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। छोटी एवं मध्यम आकार के दाने वाली किस्मों के लिए 60–80 किलोग्राम तथा बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 80–100 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है।
इसकी बुवाई 30–35 सेंमी दूर कतारों में करनी चाहिए। प्रमुख काबुली किस्में-पूसा 267, पूसा 1003, पूसा चमत्कार (बीजी 1053), देशी किस्में –सी 235, पूसा 246, पीबीजी 1, पूसा 372, बुवाई से पूर्व बीजों को राइजोबियम और पीएसबी के टीकों (कल्चर) से अवश्य उपचार करें।
गाजर की खेती संबंधित
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं, बुवाई से पूर्व मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें। उन्नत किस्में- पूसा रूधिरा है। बीज दर 4.0 किलोग्राम प्रति एकड़ लगेगा, गाजर की बुवाई अगर मशीन से की जा रही है तो बीज सिर्फ 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से लगेगा। इससे उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।
बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें तथा खेत में देसी खाद, पोटाश और फॉस्फोरस उर्वरक अवश्य डालें।
साग और मूली की बुवाई भी कर सकते हैं
इस मौसम में किसान सरसों साग- पूसा साग-1, मूली- जापानी व्हाईट, हिल क्वीन, पूसा मृदुला (फ्रेच मूली), पालक- आल ग्रीन, पूसा भारती, शलगम- पूसा स्वेती या स्थानीय लाल किस्म, बथुआ- पूसा बथुआ-1, मेथी-पूसा कसूरी, गांठ गोभी-व्हाईट वियना, पर्पल वियना तथा धनिया-पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें।
उचित नमी का ध्यान रखें
यह समय ब्रोकली, पछेती फूलगोभी, बन्दगोभी तथा टमाटर (Tomato) की पौधशाला तैयार करने के लिए उपयुक्त है। पौधशाला भूमि से उठी हुई क्यारियों पर ही बनाएं, जिन किसान भाईयों की पौधशाला तैयार है, वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौध की रोपाई ऊंची मेड़ों पर करें।
मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें। यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें। गैदें की तैयार पौध की मेड़ों पर रोपाई करें। किसान ग्लेडिओलस की बुवाई भी इस समय कर सकते हैं।
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