Aloe vera (एलोवेरा)

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Watering

Low

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Cultivation

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Harvesting

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Labour

Low

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Sunlight

Medium

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pH value

7 - 8.5

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Temperature

25 - 50 °C

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Fertilization

apply 60-80 qtl per acre of well decomposed cow dung. Apply basal dose of N:P:K@20:20:20 kg/acre in

Aloe vera (एलोवेरा)

Aloe vera (एलोवेरा)

Basic Info

एलोवेरा एक प्रकार का औषधीय और काँटेदार पौधा है, अलो वेरा/एलोवेरा को घृत कुमारी, क्वारगंदल, या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है। एक औषधीय पौधे के रूप में विख्यात है। एलोवेरा का पौधा बिना तने का या बहुत ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है जिसकी लम्बाई 60-100 सेंटीमीटर तक होती है। इसका फैलाव नीचे से निकलती शाखाओं द्वारा होता है। इसकी पत्तियां भालाकार, मोटी और मांसल होती हैं जिनका रंग, हरा, हरा-स्लेटी होने के साथ कुछ किस्मों में पत्ती के ऊपरी और निचली सतह पर सफेद धब्बे होते हैं। पत्ती के किनारों पर की सफेद छोटे दांतों की एक पंक्ति होती है। गर्मी के मौसम में पीले रंग के फूल उत्पन्न होते हैं। एलोवेरा में औषधीय गुण होने के कारण इस पौधे की भारत में बहुत ज्यादा डिमांड है. दवाई कंपनियों से लेकर कास्मेटिक उत्पाद, फेस पैक, हेल्थकेयर, और टेक्सटाइल बनाने वाली कम्पनियाँ इसकी खरीद बड़े मात्रा में करती है। बाजार में एलोवेरा की डिमांड को देखते हुए यह एलोवेरा की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है।

Seed Specification

बुवाई का समय
एलोवेरा की खेती सर्दियों के महीनों को छोडक़र पूरे वर्ष की जा सकती है। लेकिन अच्छे विकास के लिए एलोवेरा के पौधे फरवरी या जुलाई-अगस्त में लगाना उचित रहता है।

दुरी
पौधों के बीच कम से कम 40 सेंटीमीटर की दुरी होनी चाहिए।

बुवाई का तरीका
एलोवेरा की बुवाई बीज द्वारा नर्सरी तैयार की जाती है, इसकी बुवाई 6-8 इंच के पौध द्वारा किया जाना चाहिए। इसकी बुवाई 3-4 महीने पुराने चार-पांच पत्तों वाले कंदों के द्वारा की जाती है।

बीज की मात्रा
एक एकड़ खेत के लिए लगभग 5000 से 10000 कंदों की जरूरत होती है।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
एलोवेरा के अच्छे विकास और बढ़वार के लिए खेत तैयारी के समय 8-10 टन/एकड़ की दर से अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। और रासायनिक उर्वरक मिट्टी परिक्षण के आधार पर तथा कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर देना चाहिए।

Crop Spray & fertilizer Specification

एलोवेरा एक प्रकार का औषधीय और काँटेदार पौधा है, अलो वेरा/एलोवेरा को घृत कुमारी, क्वारगंदल, या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है। एक औषधीय पौधे के रूप में विख्यात है। एलोवेरा का पौधा बिना तने का या बहुत ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है जिसकी लम्बाई 60-100 सेंटीमीटर तक होती है। इसका फैलाव नीचे से निकलती शाखाओं द्वारा होता है। इसकी पत्तियां भालाकार, मोटी और मांसल होती हैं जिनका रंग, हरा, हरा-स्लेटी होने के साथ कुछ किस्मों में पत्ती के ऊपरी और निचली सतह पर सफेद धब्बे होते हैं। पत्ती के किनारों पर की सफेद छोटे दांतों की एक पंक्ति होती है। गर्मी के मौसम में पीले रंग के फूल उत्पन्न होते हैं। एलोवेरा में औषधीय गुण होने के कारण इस पौधे की भारत में बहुत ज्यादा डिमांड है. दवाई कंपनियों से लेकर कास्मेटिक उत्पाद, फेस पैक, हेल्थकेयर, और टेक्सटाइल बनाने वाली कम्पनियाँ इसकी खरीद बड़े मात्रा में करती है। बाजार में एलोवेरा की डिमांड को देखते हुए यह एलोवेरा की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।

सिंचाई
एलोवेरा के कंदों की रोपाई तुरंत बाद एक हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है, और पहली सिंचाई के बाद आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें।

Harvesting & Storage

फसल की कटाई
एलोवेरा का पौधा 7-8 महीने में तैयार हो जाता है आप इस की कटाई आठवें महीने में कर सकते है। पौधे को कभी भी जड़ से नहीं काटे क्यूंकि उसी की जड़ से यह पौधा दोबारा उगता है।

उत्पादन
एलोवेरा की एक हेक्टेयर में खेती से लगभग 40 से 45 टन मोटी पत्तियां प्राप्त होती हैं।

Crop Disease

Alternaria leaf spot

Description:
{एलोवेरा के पौधे में अक्सर अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट रोग होने की सूचना मिली है। कई कवक रोगजनक मायकोटॉक्सिन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं जो इस अत्यधिक महत्वपूर्ण औषधीय पौधे की क्षमता को बदल देते हैं|}

Organic Solution:
जैविक नियंत्रण परिदृश्य के लिए सबसे उपयुक्त है। अल्टरनेरिया रोग से निपटने के लिए आमतौर पर थिरम, अरसन, डाइथेन एम-45, बाविस्टिन, डिथेन जेड-78, डिफोल्टन, ब्लिटोक्स-50 और बोर्डो मिश्रण का उपयोग किया जाता है।

Chemical solution:
इन रोगों का रासायनिक नियंत्रण इस स्थिति का आदर्श समाधान नहीं है, क्योंकि रसायन स्वयं औषधीय रूप से महत्वपूर्ण और औषधीय रूप से आवश्यक पौधों के अन्य आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण उत्पादों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

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Aloe Rust

Description:
{रोग का उद्भव ठंडे तापमान और उच्च आर्द्रता का पक्षधर है। रतुआ रोग 4 से 8 घंटे कम प्रकाश तीव्रता, गर्म तापमान और नमी - आर्द्रता, ओस या बारिश - के बाद 8 से 16 घंटे उच्च प्रकाश तीव्रता, उच्च तापमान और पत्ती की सतहों के धीमी गति से सूखने के पक्षधर हैं।}

Organic Solution:
अतिसंवेदनशील पौधों के संक्रमण को रोकने के लिए कॉपर स्प्रे या सल्फर पाउडर लगाएं। सर्वोत्तम परिणामों के लिए, जल्दी या रोग के पहले संकेत पर आवेदन करें। पौधे के सभी हिस्सों को अच्छी तरह से स्प्रे करें और कटाई के दिन तक हर 7-10 दिनों में दोहराएं।

Chemical solution:
सल्फर और पाइरेथ्रिन से युक्त, बोनाइड® ऑर्चर्ड स्प्रे कीटों के हमलों और फंगल समस्याओं के लिए एक सुरक्षित, एक-हिट केंद्रित है। सर्वोत्तम परिणामों के लिए, मौसम की शुरुआत में एक सुरक्षात्मक स्प्रे (2.5 औंस/गैलन) के रूप में लागू करें। यदि रोग, कीड़े या गीला मौसम मौजूद है, तो एक गैलन पानी में 5 ऑउंस मिलाएं। पौधे के सभी भागों, विशेष रूप से नए अंकुरों का छिड़काव करें।

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