खरीफ सीजन में तिल की खेती, जानें कब करें तिल की बुवाई और खेती के तौर तरीके

खरीफ सीजन में तिल की खेती, जानें कब करें तिल की बुवाई और खेती के तौर तरीके
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Kisaan Helpline

Crops May 18, 2024
Til Ki Kheti: खरीफ सीजन का समय आने वाला है। खरीफ मौसम में मुख्य रूप से मक्का, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन, तिल, अरहर, गन्ना, धान आदि की खेती की जाती है। यहां हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बता रहे हैं जिसे जून के आखिरी हफ्ते से लेकर जुलाई के पहले हफ्ते तक बोया जा सकता है। जी, हाँ तिल की बुआई मानसून आने के दूसरे पखवाड़े में करना बेहतर होता है। तिल की खेती एक ऐसी खेती है जो किसान की अच्छी कमाई करा सकती है।

तिल की खेती की बुवाई का समय और तरीका
  • तिल की खेती के लिए जून के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक की अवधि अधिक उपज के लिए उपयुक्त पाया गया है।
  • अधिक उपज तथा निराई-गुड़ाई में आसानी के लिए तिल को पंक्तियों में बोना चाहिए। 
  • पंक्तियों के बीच की दूरी 30-45 सें.मी. रखें। 
  • वांछित पौधों की संख्या प्राप्त करने के लिए 4-5 कि.ग्रा. बीज/हैक्टर का प्रयोग करें।
  • बुआई के 15 से 20 दिनों बाद पौधों की छंटाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सें.मी. रखें।
तिल की उन्नत किस्में

तिल की फसल से अधिक उपज लेने के लिए जवाहर तिल-12, जवाहर तिल-14. शेखर, प्रगति, तरुण, आर.टी. 54, आर.टी. 46, आर.टी. 103, आर.टी. 103, आर.टी. 125, आर.टी. 127, आरटी-346, आरटी-351, टीकेजी-308, गुजरात तिल नं-1. गुजरात तिल नं-2, गुजरात तिल-3, फुले तिल नं-1, प्रताप, ताप्ती, पदमा, एन.-8 डी.एम. 1. पूरवा 1, टी.सी. 25, टी. 13, एन. 32, जे.टी. 2, टी.के.जी. 21, टी.के.जी. 22, टी.के.जी. 55, उमा, रामा, कृष्ण, पटना-64, कांके सफेद, विनायक, कालिका, कनक उमा. उषा, बी. 67, पंजाब तिल 1, हरियाणा तिल 1, टी. 12, टी. 14, टी 78, जीजेटी-5 आदि उन्नत प्रजातियां है। 

तिल की खेती में खाद और उर्वरक का प्रयोग

उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण की संस्तुतियों के आधार पर किया जाना चाहिए। मृदा की जांच संभव न होने की अवस्था में सिंचित क्षेत्रों में 40-50 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 20-30 कि.ग्रा. फॉस्फोरस और 20 कि.ग्रा. पोटाश हैक्टर देना चाहिए लेकिन वर्षा आधारित फसल में 20-25 कि.ग्रा. नाइट्रोजन और 15 से 20 कि.ग्रा. फॉस्फोरस/हैक्टर दें। मुख्य तत्वों के अतिरिक्त 10 से 20 कि.ग्रा./हैक्टर गंधक का उपयोग करने से तिल की उपज में वृद्धि की जा सकती है, जहां जिंक की कमी हो, वहां पर दो वर्ष में एक बार 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट/हैक्टर का प्रयोग करें। लंबे समय के लिए सूखा पड़ने की अवस्था में खड़ी फसल में 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें।

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