पकी हुई धान की कटाई करें तथा अवशेष (पराली) को न जलाये। धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा ठिकपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कंप्सूल प्रति हेक्टेयर किया जा सकता है।
गेहूँ की उन्नत किस्मो की बुआई हेतु : खेत की तैयारी करें।
सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने पर गेहूँ की बुवाई बीजोपचार उपरांत करें।
किसान भाई, गेहूँ की उन्नत किस्में कुछ इस प्रकार है:
अ. पछेती बोनी एवं शीघ्र पकने वाली किस्में:- जे. डब्ल्यू 3336 एच. डी. 2932 जे. डब्ल्यू 1534, जे. डब्ल्यू 1202, जे. डब्ल्यू 1203
ब.1-2 पानी वाली किस्में- जे. डब्ल्यू 3173, जे डब्ल्यू 3020,
समय पर बोए गये गेहूं की फसल में सी.आर.आई. अवस्था (20 से 25 दिन) में सिंचाई करें।
अंकुरण के 20 से 25 दिन में खपतवारनशी सल्फोसल्फयूरान 25 ग्रा. एवं मेटसल्फयूरान 10 ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें अथवा क्लोडिनोफास प्रोपारगिल 60 ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
वर्तमान मौसम प्याज की बुवाई के लिए अनुकूल है। बीज दर 10 कि. ग्रा. प्रति हेक्टर। बुवाई से पहले बीजों को कैप्टान @ 5 ग्राम प्रति कि ग्रा. बीज की दर से उपचार अवश्य करें। गोबर की खाद का अवश्य उपयोग करें।
इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें। यदि फसलों व सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटो का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मि. ली. प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर सुबह या शाम को करें।
विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें।
मिर्च तथा टमाटर के खेतों में यदि प्रकोप अधिक है तो पायेमेट्राजीन 50% डब्लूजी @ 300 ग्राम / हे की दर से छिकाय आसमान साफ होने पर करें ।