सोयाबीन की फसल को कैसे बचाएं? जानिए विशेषज्ञों की राय और जरूरी कदम
सोयाबीन की फसल को कैसे बचाएं? जानिए विशेषज्ञों की राय और जरूरी कदम
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इस समय देश के विभिन्न हिस्सों में सोयाबीन की फसल विभिन्न अवस्थाओं में हैं। इस समय सोयाबीन की 30-40 दिन की हैं। कुछ क्षेत्रों में वर्षा होने से फसल की स्थिति बेहतर है, जबकि अन्य क्षेत्रों में कम वर्षा के कारण फसल की बढ़वार धीमी है। जहां पहले बुवाई की गई थी, वहां इस सप्ताह फूल आने की अवस्था होगी। ऐसी स्थिति में कीट/रोग/खरपतवार नियंत्रण के उपायों के साथ-साथ अन्य सुरक्षात्मक उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है।

1. फसल की नियमित निगरानी
फसल की निगरानी अत्यंत आवश्यक है। अपने खेत की नियमित रूप से जांच करें और खेत में जाकर 3-4 स्थानों के पौधों को हिलाकर देखें कि कहीं इल्ली/कीड़ों का प्रकोप तो नहीं हुआ है। यदि किसी कीट का प्रकोप हो, तो तुरंत उनके नियंत्रण के उपाय करें।

2. चक्र भृंग से बचाव
सोयाबीन की फसल घनी होने पर चक्र भृंग का प्रकोप अधिक होने की सम्भावना होती हैं। इसके लिए प्रारंभिक अवस्था में ही (एक सप्ताह के अन्दर) दो रिंग दिखाई देने वाली ऐसी मुरझाई/लटकी हुई ग्रसित पत्तियों को तने से तोड़कर जला दे या खेत से बाहर करें। इससे फसल को बचाया जा सकता है।

3. कीट एवं रोग नियंत्रण
फसल पर कीट और रोगों का प्रकोप न हो इसके लिए उपयुक्त रसायनों का छिड़काव करें। भले ही सोयाबीन की फसल फूल आने की अवस्था में हो तो भी यह छिड़काव आवश्यक है।

4. जलभराव से बचाव
यदि आपके खेत में जलभराव हो रहा है, तो अतिरिक्त जल-निकासी की व्यवस्था करें। जलभराव से सोयाबीन की फसल को नुकसान हो सकता है।

5. सूखे की स्थिति में सिंचाई
सूखे की स्थिति में भूमि में दरारे पड़ने से पहले ही सिंचाई करें। स्प्रिंकलर, ड्रिप, बीबीएफ (बैड एंड फरो) या रिज फरो जैसी तकनीकों का उपयोग करें। इसके अलावा, नमी संरक्षण के लिए भूसे या खरपतवारों की पलवार भी लगा कर नमी संरक्षण का काम कर सकते हैं।

स्त्रोत : ICAR - Indian Institute of Soybean Research