वर्मीवाश बनाने का आसान तरीका, जानिए इसके फायदों के बारे में
वर्मीवाश बनाने का आसान तरीका, जानिए इसके फायदों के बारे में
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किसान भाइयों के लिए अच्छी खबर! अब आप अपने खेतों में आसानी से वर्मीवाश का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे आपकी फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार होगा। वर्मीवाश एक प्राकृतिक जैविक तरल है, जो पौधों की पत्तियों पर छिड़काव के लिए उपयुक्त है और इसे बनाना भी बहुत आसान है।

वर्मीवाश बनाने के लिए आपको केवल 10-25 लीटर की प्लास्टिक की बाल्टी या टोंटी वाला मिट्टी का घड़ा चाहिए। बाल्टी को निम्न क्रम में भरना है:
  • पहली परत - 2-3 इंच ईंट और पत्थर।
  • दूसरी परत - 2 इंच रेत।
  • तीसरी परत - 6-9 इंच मिट्टी और पुरानी खाद।
  • चौथी परत - 2 इंच हरी घास, पत्ते आदि।
इन परतों के जमने के बाद इसमें 100-120 केंचुए डाले जाते हैं। करीब एक महीने बाद पानी से भरा एक छोटा घड़ा, जिसमें बारीक छेद किए गए हों, बाल्टी के ऊपर लटका दिया जाता है। इस घड़े से धीरे-धीरे पानी रिसता है और कपड़े के टुकड़ों के जरिए बाल्टी में चला जाता है।

जब केंचुए बाल्टी में भरी खाद में ऊपर से नीचे की ओर चलते हैं, तो उसमें बारीक-बारीक खाली जगहें बन जाती हैं। पानी के रिसाव के कारण ये खाली जगहें बाल्टी में ही रह जाती हैं और केंचुए के शरीर से निकलने वाला कोलाइडल द्रव इस पानी में मिल जाता है, जिसमें कई उपयोगी वृद्धि हार्मोन और पोषक तत्व होते हैं।

24 घंटे बाद इस पानी को बाल्टी के नीचे लगी टोंटी से निकालकर इकट्ठा कर लिया जाता है, जिसे वर्मीवॉश कहते हैं। वर्मीवॉश का इस्तेमाल पौधों की पत्तियों पर स्प्रे के रूप में किया जा सकता है, जिससे पौधों की वृद्धि में आश्चर्यजनक सुधार देखने को मिलता है।

वर्मीवाश के लाभ
  • वर्मीवाश के उपयोग से पौधों की अच्छी वृद्धि होती है तथा पौधों में रोग लगने की संभावना कम हो जाती है।
  • इसके उपयोग से पानी की लागत कम होती है तथा अच्छी खेती संभव हो पाती है।
  • इसके उपयोग से पौधों में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती, जिससे रासायनिक खादों का उपयोग न होने से पर्यावरण स्वस्थ रहता है।
  • यह कम लागत में भूमि की उर्वरता बढ़ाता है तथा मिट्टी के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों को बढ़ाता है।
वर्मीवाश का प्रयोग
  1. एक लीटर वर्मीवाश को 7-10 लीटर पानी में मिलाकर शाम को पत्तियों पर छिड़काव करें।
  2. 2एक लीटर वर्मीवाश को एक लीटर गाय के मूत्र में मिलाकर उसमें 10 लीटर पानी मिला लें। फिर इसे रात भर के लिए रख दें और एक हेक्टेयर क्षेत्र में 50-60 लीटर वर्मीवाश का छिड़काव करें, इससे फसलों में विभिन्न बीमारियों से बचाव होता है।
  3. गर्मी की सब्जियों में जल्दी फूल आने और फल लगने के लिए पत्तियों पर छिड़काव किया जाता है, जिससे उनका उत्पादन बढ़ता है।
वर्मीवाश का छिड़काव करते समय सावधानियां

वर्मीवाश का छिड़काव शाम के समय करना चाहिए। वर्मीवाश और पानी का उचित अनुपात में घोल तैयार करना चाहिए। वर्मीवाश का उपयोग गोमूत्र के साथ कीटनाशक के रूप में उचित अनुपात में करना चाहिए। छिड़काव करते समय हवा के विपरीत दिशा में छिड़काव नहीं करना चाहिए। ध्यान रखें कि बरसात के मौसम में बारिश की संभावना नहीं होना चाहिए।

किसान भाइयों, इस प्राकृतिक और सस्ते तरीके से अपने खेतों की पैदावार बढ़ाएँ और रासायनिक खादों से मुक्ति पाएँ। वर्मीवॉश आपके पौधों के लिए एक प्राकृतिक वरदान साबित हो सकता है।