अनार की खेती : जानिए कैसे पाएं अनार की बम्पर फसल
अनार की खेती : जानिए कैसे पाएं अनार की बम्पर फसल
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अनार, जो कि भारत में एक महत्वपूर्ण फल फसल है, का उत्पत्ति स्थान ईरान है। यह उष्ण एवं उपोष्ण जलवायु में उगाया जाता है और सूखा सहनशील होने के कारण कम लागत में अधिक आमदनी प्रदान करता है। अनार का फल कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, सल्फर, लौह तत्व, विटामिन, और प्रोटीन का उत्तम स्रोत है। इसका उपयोग खाने के फल के अलावा फल-रस, सीरप, स्क्वैश, जेली, रस केंद्रित, कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक्स, अनार-दाने की गोलियाँ, और अम्ल जैसे प्रसंस्करित उत्पादों के निर्माण में भी किया जाता है।

प्रमुख अनार उत्पादक राज्य
भारत का नाम दुनिया ने अनार की खेती करने में प्रथम स्थान रखता है। भारत में अनार की खेती करने वाले प्रमुख राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, और राजस्थान हैं।

जलवायु और मृदा
अनार एक उपोष्ण जलवायु का पौधा है जो पाला व शुष्कता के प्रति सहिष्णु है। इसकी उच्च गुणवत्ता वाले फलों के विकास के लिए 35-38°C तापमान आवश्यक होता है। अनार की खेती के लिए गहरी दोमट मिट्टी, जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो, सबसे उपयुक्त होती है।

भूमि की तैयारी और प्रवर्धन विधि
भूमि को मोल्ड बोल्ड हल से 2-3 गहरी जुताइयों के बाद हैरो से जुताई करें। इसके बाद समतलीकरण करें। अनार के पौधे को कलम, गूटी, और टिश्यू कल्चर के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता है।

कलम विधि
कटिंग या कलम के लिए 9 से 12 इंच लम्बी एक साल पुरानी शाखा, जिसमें 4-5 कलियां हों, का चयन कर लें। कलम लगाने के लिए सबसे उपयुक्त समय फरवरी माह होता है।

उन्नत किस्में
अनार की उन्नत किस्में भगवा, रूबी, एन.आर.सी. हाइब्रिड-6ए, एन.आर.सी. हाइब्रिड-14ए, अरक्ता, गणेश, जालौर सीडलैस, मृदुला, जोधपुर रेड, G-137 बेदाना, मस्कट, ज्योति, दारू, वंडर, और जोधपुर लोकल आदि हैं।

गूटी या एयर लेयरिंग विधि
एयर लेयरिंग विधि से पौधे तैयार करने के लिए 2-3 साल पुराने स्वस्थ पौधों का चयन करना चाहिए। इसके बाद पेंसिल आकार की शाखा का चुनाव करें। चुनी गयी शाखा में से 2.5- 3.0 सेंमी. छाल को उतार लें। इसके बाद जड़ फुटान हार्मोन से 1.5-2.5 ग्राम की दर से उपचारित करके नम मॉस घास या फिर कोकोपिट से छिले हुई शाखा को लपेट दें। जब गूटी किये गए भाग की जड़ें भूरे रंग की होने लग जाएं, तब गूटी किये भाग को कट लगाकर मातृ पौधे से अलग कर लेना चाहिए

गड्ढों की तैयारी एवं रोपण
गड्ढों का आकार 60 सेंमी लम्बा, चौड़ा और गहरा रखा जाता है। मानसून के दौरान, गड्ढों को गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट (10 किग्रा), सिंगल सुपरफॉस्फेट (500 ग्राम), नीम की खली (1 किग्रा) तथा क्विनॉलफॉस (50-100 ग्राम) से भर दिया जाता है। पौधों के बीच की दूरी 10-12 फीट और पंक्तियों के बीच दूरी 13-15 फीट रखनी चाहिए।

खाद एवं उर्वरक
अनार के पौधे को 600-700 ग्राम नाइट्रोजन, 200-250 ग्राम फॉस्फोरस और 200-250 ग्राम पोटाश प्रति वर्ष की दर से देना चाहिए। देसी खाद, सुपर फॉस्फेट, और पोटाश की पूरी मात्रा एवं यूरिया की आधी मात्रा फूल आने से 6 सप्ताह पूर्व दी जानी चाहिए।

सिंचाई
अनार एक सूखा सहनशील फसल है और यह कुछ सीमा तक पानी के अभाव में भी पनप सकता है। सर्दियों के दौरान 10-12 दिनों और गर्मियों के मौसम में 4-5 दिनों के अंतराल में सिंचाई अवश्य करें।

कीट
1. अनार की तितली या फल छेदक- यह अनार का एक प्रमुख कीट है। यह अनार के विकासशील फलों में छेद कर देता है। इसके कारण फल फफूंद एवं जीवाणु संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं।
नियंत्रण - फॉस्फोमिडॉन 0.03 प्रतिशत या सेविन 4 ग्राम प्रति लीटर का पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव करके इस कीट से छुटकारा पाया जा सकता है।

2. छाल भक्षक - यह कीट मुख्य तने पर छेद बनाता है तथा तने के अंदर सुरंगों का एक जाल बना लेता है। इसके कारण पौधे की शाखाएं तेज हवा चलने पर टूट जाती हैं।
नियंत्रण - इस कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए, कीट द्वारा बनाये गये छेदों को डीजल अथवा केरोसिन में रूई भिगोकर बंद कर देते हैं।

व्याधियाँ
1. जीवाणु पत्ती धब्बा रोग या तैलीय धब्बा रोग- इस रोग में पादप के तने, पत्तियों एवं फलों पर छोटे गहरे भूरे रंग के पानी से लथपथ धब्बे बनते हैं। जब संक्रमण अधिक हो जाता है तो फल फटने लग जाते हैं।
नियंत्रण - इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए स्ट्रेप्टोमाइसीन 0.5 ग्राम और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.0 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से मिश्रण करके छिड़काव करें।

2. फल फटना या फल फूटना - यह अनार का एक गंभीर दैहिक विकार है। जो सामान्यतया अनियमित सिंचाई, बोरॉन की कमी और दिन अथवा रात के तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव के कारण होता है। इस विकार में फल फट जाते हैं।
नियंत्रण - इसके नियंत्रण के लिए बोरॉन का 0.1% की दर से और GA, का 250 पीपीएम की दर से पर्णीय छिड़काव करें। इसके अलावा मृदा में उपयुक्त नमी बनाये रखें।

फलों की तुड़ाई और प्रबंधन
अनार के फलों की तुड़ाई इष्टतम परिपक्व अवस्था पर करनी चाहिए। फलों की परिपक्वता का आकलन गहरे गुलाबी रंग का फल की सतह पर विकसित होना। अनार के फलों के तल में स्थित कैलिक्स का अंदर की तरफ मुड़ जाना। एरिल का गहरे लाल या गुलाबी रंग में बदलना।

उपज
एक स्वस्थ अनार के पेड़ से पहले वर्ष में 12 से 15 किग्रा एवं दूसरे वर्ष में लगभग 15 से 20 किलोग्राम उपज प्राप्त होती है।

पैकेजिंग और भंडारण
अनार के फलों को लकड़ी या प्लास्टिक के बक्सों में पैक किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए नालीदार फाइबरबोर्ड बक्सों का उपयोग किया जाता है। फलों को 50-60°F तापमान और 90-95% सापेक्ष आर्द्रता में भण्डारित किया जा सकता है, जिससे वे 3 महीने तक ताजे रहते हैं।