किसान बीज बुवाई से पहले एक बार अवश्य करें बीज अंकुरण की जांच, जानें बीज अंकुरण जांच के तरीके
किसान बीज बुवाई से पहले एक बार अवश्य करें बीज अंकुरण की जांच, जानें बीज अंकुरण जांच के तरीके
Android-app-on-Google-Play

बीज उत्पादन और अच्छी उपज के लिए अच्छे बीजों का होना बहुत जरूरी है। अच्छे बीजों की पहचान के लिए अंकुरण परीक्षण जरूरी है। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कुछ मापदंड तय किए गए हैं, जिसके अनुसार हम प्रयोगशाला में या खेत में चयनित बीजों का परीक्षण कर सकते हैं। इस परीक्षण विधि के बारे में संक्षिप्त जानकारी इस लेख में देने का प्रयास किया गया है। इसका उपयोग करके किसान समय रहते बीजों की कम गुणवत्ता के कारण होने वाले नुकसान से बच सकते हैं।

सबसे पहले फसल की कटाई के बाद भंडारण से पहले बीजों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए। कटे, क्षतिग्रस्त, रोगग्रस्त और अन्य फसल के बीजों और कचरे को उपज से अलग कर देना चाहिए। यदि बीज की नमी सुरक्षित सीमा से अधिक हो जाती है, तो इसका बीजों के जीवित रहने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भंडारण से पहले और बुवाई से पहले बीज अंकुरण परीक्षण करवाकर अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का चयन किया जा सकता है और भरपूर उपज ली जा सकती है।

अंकुरण क्षमता निर्धारित करने से पहले सावधानियां
  • अंकुरण परीक्षण से पहले बीजों को अच्छी तरह मिला लेना चाहिए और परीक्षण के लिए बीजों को निकाल लेना चाहिए, ताकि सभी बीजों का समान रूप से परीक्षण किया जा सके।
  • बीजों में नमी 10-12 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। अधिक नमी से बीजों में अधिक कीटाणु उत्पन्न होते हैं।
  • बीज रोगग्रस्त या कीट-ग्रस्त नहीं होने चाहिए। स्वच्छ होने के साथ-साथ, उनमें अन्य फसलों के बीज नहीं होने चाहिए।
बीज अंकुरण क्षमता का महत्व
  • बीजों की अंकुरण क्षमता जानने से बुवाई के लिए बीज दर तय करना आसान हो जाता है।
  • भंडारण के लिए या भंडारण के लिए बीज खरीदने से पहले अंकुरण परीक्षण करके किसान अच्छे बीजों का चयन कर सकते हैं।
प्रयोगशाला में बीज अंकुरण परीक्षण की विधियाँ

पेपर टेबल विधि
इस विधि में प्रयोगशाला में अंकुरण परीक्षण के लिए एक विशेष प्रकार के कागज का उपयोग किया जाता है, जिसकी जल अवशोषण क्षमता अपेक्षाकृत अधिक होती है। इस प्रकार, इसमें नमी कई दिनों तक सुरक्षित रहती है। बीजों पर कोई विषाक्त प्रभाव नहीं पड़ता है। इस विधि में, टेबल पेपर को साफ पानी में गीला करके टेबल पर फैलाया जाता है और कागज के एक तरफ 50 या 100 बीज (आकार के अनुसार) जमा किए जाते हैं। इसके बाद, इसे दूसरे हिस्से से ढक दिया जाता है और नीचे से मोड़कर लपेट दिया जाता है, ताकि बीज नीचे न गिरें। इसके बाद इसे अंकुरण मापक यंत्र में 20-25 डिग्री सेल्सियस तापमान पर अंकुरण के लिए रखा जाता है। अंकुरण के लिए रखे गए बीजों को 10-12 दिन बाद सावधानीपूर्वक निकाल लिया जाता है। अंकुरण प्रतिशत जानने के लिए इन बीजों को निम्नलिखित पाँच श्रेणियों में बांटा जाता है:
  • अंकुरित पौधे: वे पौधे जिनमें तना और जड़ वाला भाग पूरी तरह स्वस्थ और विकसित होता है।
  • असामान्य पौधे: वे पौधे जिनमें तना या जड़ या कोई एक भाग पूरी तरह विकसित नहीं होता या आधा विकसित होता है। ऐसे पौधे विकास के कुछ दिन बाद मर जाते हैं।
  • मृत या सड़े हुए बीज: जिन बीजों में फफूंद लगी हो या दबाने पर सड़ गए हों और गंदा पानी रिसता हो, ऐसे बीज इस श्रेणी में आते हैं।
  • स्वस्थ और अंकुरित बीज: वे बीज जो अंकुरण के लिए रखे जाने पर किसी कारण से अंकुरित नहीं होते और अनुकूल वातावरण मिलने पर इन बीजों के अंकुरित होने की संभावना होती है।
  • कठोर बीज: ये बीज पानी को अवशोषित नहीं करते क्योंकि ये कठोर आवरण से ढके होते हैं।
पेट्री प्लेट विधि
इस विधि में छोटे बीजों को पेट्री प्लेट या बंद डिब्बे में गीले शोषक कागज पर रखा जाता है। इसे 2-4 दिन के अंतराल पर गीला किया जाता है। इस प्लेट को बीज अंकुरण मशीन में रखा जाता है। लगभग 8-10 दिन बाद अंकुरित बीजों का प्रतिशत निर्धारित किया जाता है।

टाट विधि
इस विधि में बोरे के टुकड़े को गीला करके समतल सतह पर रखा जाता है और उसमें बीज जमा करके, मोड़कर और लपेटकर उसी तरह से रखा जाता है जैसे कि पेपर टेबल विधि में किया जाता है और दीवार के सहारे रखकर नमी और छायादार जगह पर रख दिया जाता है। लगभग 8-10 दिन बाद बोरे को खोलकर टेबल पेपर विधि की तरह ही बीजों के अंकुरण की जांच की जाती है।

रेत विधि
एक ट्रे को साफ और धुली हुई बारीक रेत से भरकर उसमें गिने हुए बीजों को अंकुरण के लिए रख दिया जाता है। रेत को समय-समय पर पानी से गीला किया जाता है। बीजों के अंकुरित होने के बाद उसका प्रतिशत निर्धारित किया जाता है।