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साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह, किसान भाई रखें इन बातों का विशेष ध्यान
साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह, किसान भाई रखें इन बातों का विशेष ध्यान

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है। 
  • वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए सभी किसानों को सलाह है की किसी प्रकार का छिड़काव ना करें तथा खड़ी फसलों व सब्जी नर्सरियों में उचित प्रबंधन रखे। दलहनी फसलों तथा सब्जी नर्सरियों में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
  • किसानों की धान की नर्सरी तैयार है तो धान की रोपाई प्राथमिकता के आधार पर करें। रोपाई करते समय ऊपर से 2-3 इंच पत्तियों को काट दें। फसल में कम से कम 2.5 से.मी. पानी खड़ा रखें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी रखें। उर्वरकों में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट/हैक्टर की दर से डाले, तथा नील हरित शैवाल एक पेकेट/एकड़ का प्रयोग उन्ही खेतो में करें जहाँ पानी खड़ा रहता हो, ताकि मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढाई जा सकें। धान के खेतों की मेंडो को मजबूत बनाये। जिससे आने वाले दिनों में वर्षा का ज्यादा से ज्यादा पानी खेतों में संचित हो सके।
  • वर्तमान मौसम को ध्यान में रखते हूये किसान मक्का की बुवाई मेढ़ों पर करें। संकर किस्में ए एच-421 व ए एच-58 तथा उन्नत किस्में पूसा कम्पोजिट-3, पूसा कम्पोजिट-4 अथवा अन्य संकर किस्मों की बुवाई शुरु कर सकते है। बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/ हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें।
  • यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए उप्युक्त हैं अतः किसान पूसा चरी-9, पूसा चरी-6, की बुवाई करें। बीज की मात्रा 20-30 किलोग्राम/हैक्टर रखें। लोबिया की बुवाई का भी यह उप्युक्त समय है।
  • जिन किसानों की मिर्च, बैंगन व अगेती फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मध्यनजर रखते हुए रोपाई मेंड़ों (उथली क्यारियों) पर करें। किसान भाई ध्यान रखें कि खेत में ज्यादा पानी खड़ा न रहें यदि खेत में पानी ज्यादा रह गया तो उसकी निकासी का तुरंत प्रबन्ध करें।
  • कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें। उन्नत किस्में: लोकी- पूसा संतुष्टि, पूसा नवीन, पूसा सदेंश, करेला- पूसा विशेष, पूसा-दो मोसमी, सीताफल- पूसा विश्वास, पूसा विकास; तुरई- पूसा चिकनी, पूसा स्नेह; धारीदार तुरई- पूसा नसदार किस्मों की बुवाई मेंडों (उथली क्यारियों) पर करें।
  • कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसलों में हानिकारक कीटों-बीमारियों की निगरानी करें व बेलों को ऊपर चढ़ाने की व्यवस्था करे। ताकि वर्षा से सब्जियों की लताओं को गलने से बचाया जा सके तथा जल निकास का उचित प्रबन्ध रखें।
  • इस मौसम में किसान ग्वार, लोबिया, भिंड़ी, सेम, पालक, चोलाई आदि फसलों की बुवाई करें। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से खरीदें एवं बीजों को उपचारित करके ही बोये।
  • किसान इस समय मूली- वर्षा की रानी, समर लोंग, लोंग चेतकी, पूसा चेतकी; पालक- आल ग्रीन तथा धनिया- पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेंड़ों (उथली क्यारियों) पर करें तथा जल निकास का उचित प्रबन्ध करें।
  • भिंड़ी, मिर्च तथा बेलवाली फसल में माईट, जैसिड़ और होपर की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक माईट पाये जाने पर फाँसमाईट @ 1.5-2 मि.ली./ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव मौसम साफ होने पर करें।
  • बेबी कार्न की किस्म एच एम-4 तथा स्वीट कार्न की बुवाई के लिए यह समय उत्तम हैं।
  • फलों के नऐ बाग लगाने वाले गड्डों में अच्छी गुणवत्ता के पौधों को लगाये|
  • वर्षा को ध्यान में रखते हुऐ किसानों को सलाह है कि वे अपने खेतो के किसी एक भाग में वर्षा के पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें जिसका उपयोग वे वर्षा न आने के दौरान फसलों की उचित समय पर सिंचाई के लिए कर सकते है
सलाहकार समिति के वैज्ञानिक   
डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.प्र. कृष्णन (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)  
डा.देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.बी.एस.तोमर (संयुक्त निदेशक प्रसार (कार्यवाहक) एवं अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)
डा.जे.पी.एस. ड़बास (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)
डा.दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)
डा.पी.सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)
डा. सचिन सुरेश सुरोशे (प्रधान वैज्ञानिक, कीट विज्ञान संभाग)