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कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन किसानों के लिए निम्नलिखित कृषि कार्य अपनाने की सलाह दी

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कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन किसानों के लिए निम्नलिखित कृषि कार्य अपनाने की सलाह दी
कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन किसानों के लिए निम्नलिखित कृषि कार्य अपनाने की सलाह दी

सोयाबीन की खेती किये जाने वाले क्षेत्रों में इस वर्ष बोवनी की तिथियों में भिन्नता देखि गयी हैं, कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन फसल 4 सप्ताह की, जबकि कुछ क्षेत्रों में 2-3 सप्ताह की हुई है, अतः उक्त परिस्थिति में सोयाबीन कृषकों के लिए निम्न कृषि कार्य अपनाने की सलाह हैं :

  • कई क्षेत्रों में लगातार कई दिनों से अत्याधिक वर्षा होने के समाचार प्राप्त हुए हैं, अतः अपने खेत से अतिरिक्त जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
  • जहा फसल 15-20 दिन की हो गई है, और अभी तक किसी भी प्रकार के खरपतवारनाशक का प्रयोग नहीं किया हैं, सलाह हैं कि सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुशंसित खड़ी फसल में उपयोगी किसी एक रासायनिक खरपतवारनाशक का छिडकाव करें।
  • सोयाबीन की बोवनी करते समय यदि आपने बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशक का छिड़काव किया है, 20 30 दिन की फसल होने पर डोरा/कुलपा चलायें।

जिन्होंने बोवनी पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का अभी तक प्रयोग नहीं किया हैं, सलाह हैं कि अनुशंसित कीटनाशकों के साथ संगतता पाए जाने वाले वाले निम्न खरपतवारनाशक एवं कीटनाशकों में से किसी एक को मिलाकर छिडकाव किया जा सकता हैं:
  1. कीटनाशक: क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) या क्विनाल्फोस 25 ई.सी (1 ली/हे) या इन्डोक्साकर्व 15.8 एस.सी (333 मि.ली. /हे)
  2. खरपतवारनाशक: इमाज़ेथापायर 10 एस. एल (1 ली/हे) या क्विजालोफोप इथाइल 5 ई.सी ( 1 ली/हे)
जहाँ पर फसल 15-20 दिन की हो गई हो, पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु फूल आने से पहले ही सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस. सी. (150 मिली/हे) का छिड़काव करें। इससे अगले 30 दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी।


  • कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन फसल में तना मक्खी का प्रकोप होने के लक्षण देखे गए हैं, इसके नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) का छिड़काव करें।

  • कुछ क्षेत्रों में तम्बाकू की इल्ली का प्रकोप होने के समाचार प्राप्त हुए हैं, इसके नियंत्रण हेतु निम्न में से किसी एक कीटनाशक का छिडकाव करने की सलाह हैं। इससे पत्ती खाने वाली अन्य इल्लिया (चने की। इल्ली या सेमीलूपर इल्ली) का भी नियंत्रण होगा। लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90 सी.एस. (300 मिली/हे) या क्विनालफॉस 25 ई.सी. (1 ली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी ( 150 मिली/हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मिली/हे) या ब्रोफ्लानिलिडे 300 एस.सी. ( 42-62 ग्राम/हे) या |फ्लूबेडियामाइड 20 डब्ल्यू. जी. (250-300 ग्राम/हे) या फ्लूबेंडियामाइड 39.35एस.सी ( 150 मिली/हे) या इंडोक्साकार्ब । 15. 8एस.सी. (333 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50ई.सी. (1 ली/हे) या स्पायनेटोरम 11. 7 एस.सी ( 450 मिली/हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे)

  • कुछ क्षेत्रो में रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट का प्रकोप होने की सूचना प्राप्त हुई है। कृषकों को सलाह हैं कि नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाझोल 5% ईसी ( 1 मिली / ली पानी) का छिडकाव करें। 

स्त्रोत : ICAR - भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान